सरकता रहा चांद चुपके से रात भर,
फिजा में खामोशी सी बिखर गई,
गजब सा सुकून चांद देता रहा रात भर।
तार छिड़ भी गए -नग्मे बिखर भी गए,
महकता रहा आंगन चुपके से रात भर।
सरकता रहा चांद चुपके से रात भर.....
बिंदिया चमक भी गयी ,पायल खनक भी गयी,
बिखरता रहा गजरा चुपके से रात भर।
चूड़ी खनक भी गयी ,अरमान मचल भी गए,
लहराता रहा आँचल चुपके से रात भर।
सरकता रहा चांद चुपके से रात भर......
पलके उठ भी गयी,पलके गिर भी गयी ,
बहकता रहा जाम चुपके से रात भर।
दिए जल भी गए ,दिए बुझ भी गए,
सिमटता रहा तिमिर चुपके से रात भर।
सरकता रहा चांद चुपके से रात भर.....
पूनम अग्रवाल ....
फिजा में खामोशी सी बिखर गई,
गजब सा सुकून चांद देता रहा रात भर।
तार छिड़ भी गए -नग्मे बिखर भी गए,
महकता रहा आंगन चुपके से रात भर।
सरकता रहा चांद चुपके से रात भर.....
बिंदिया चमक भी गयी ,पायल खनक भी गयी,
बिखरता रहा गजरा चुपके से रात भर।
चूड़ी खनक भी गयी ,अरमान मचल भी गए,
लहराता रहा आँचल चुपके से रात भर।
सरकता रहा चांद चुपके से रात भर......
पलके उठ भी गयी,पलके गिर भी गयी ,
बहकता रहा जाम चुपके से रात भर।
दिए जल भी गए ,दिए बुझ भी गए,
सिमटता रहा तिमिर चुपके से रात भर।
सरकता रहा चांद चुपके से रात भर.....
पूनम अग्रवाल ....
8 comments:
सुंदर अभिव्यक्ति
बढ़िया रचना. लिखते रहिये. बधाई देता हूँ.
दिए जल भी गए ,दिए बुझ भी गए,
सिमटता रहा तिमिर चुपके से रात भर।
achcha laga aapka ye expression
क्या बात है जनाब आप तॊ गजब ढा रहे हैं। लगे रहिए हमारी शुभकामनांए
excellent approach, while reading the poem...was visualizing the same...
Congratulations on my behalf and wish her best of luck for thought process...:)
excellent approach, while reading the poem...was visualizing the same...
Congratulations on my behalf and wish her best of luck for thought process...:)
S. C. Jain
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