नारी.....
ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै
हाँ ! नारी हूँ मैं .........
कभी जन्मी कभी अजन्मी हूँ मैं ,
कभी ख़ुशी कभी मातम हूँ मैं .
कभी छाँव कभी धूप हूँ मैं,
कभी एक में अनेक रूप हूँ मैं.
कभी बेटी बन महकती हूँ मैं,
कभी बहन बन चहकती हूँ मैं .
कभी साजन की मीत हूँ मैं ,
कभी मितवा की प्रीत हूँ मैं .
कभी ममता की मूरत हूँ मैं ,
कभी अहिल्या,सीता की सूरत हूँ मैं .
कभी मोम सी कोमल पिंघलती हूँ मैं,
कभी चट्टान सी अडिग रहती हूँ मैं .
कभी अपने ही अश्रु पीती हूँ मैं,
कभी स्वरचित दुनिया में जीती हूँ मैं .
ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै,
हाँ ! नारी हूँ मै .....
पूनम अग्रवाल .....
20 comments:
बहुत सुन्दर रचना।
Lmbi bimari ke baad aap sabko padhne ka avsar mila...Bahut khubsurat rachna hai naari par bahut2 badhai
Very Nice....Amazing description...Really touching...:)...
Very Nice...touching...really nice description...
Very Nice...touching...really nice description...
EXCELLENT. TOUCHING
बहुत खूब, बड़ी प्यारी रचना है
वाह ! नारी होने पर सहसा गर्व होने लगा....बहुत ही प्रभावपूर्ण रचना !!!!
very nice poem poonam....
your profile is interesting....
i too am sharing the same interests...
seeing poetry in art work and art in poems..
following u so will be in touch...
great luck...
anu
नारी सच में इश्वर की रचित रचना ही तो है ... बहुत खूब ...
बहुर सुन्दर अभिव्यक्ति --------बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
आपका सब कविता बहुत ही दिल को छूता है ..मेरा भी कविता को कृपया पढाना ..मैं भी नया नया लेखक हूँ www.ShabbirKumar.co.cc
very touching...
poetry at its best..
REALLY THAT'S A HEART TOUCHING CREATION. VAIBHAV PANDEY
Nice One
Nice creation...
Nice creation n heart touching
thik hai but aur bhi rup hai nari ke jo kahane yogya nahi hai.
apane thik kaha jo ki achi bate hai kucha buraia bhi hai us nari me
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