हम बढ़ जाते है आगे ,
इस जीवन पथ पर .
छूट जाता है ,
बहुत कुछ पीछे .
कुछ खट्टी कुछ मीठी ,
यादें साथ चलती है .
सोचती हूँ कई बार -
काश! हम लौट पाते,
उन पलों में वापिस,
किसी खटास को ,
मिठास में बदल पाते.
उन पलों को वैसा ही
जी पाते दोबारा ,
जैसा आज चाहते है .
पर ऐसा हो नहीं सकता.
तब - कर लेते है
हम समझौता ,
अपने वर्तमान से ,
अपनी परिस्थिति से .
यही जीवन है
और
यही सच भी .....
पूनम अग्रवाल ....
20 comments:
वापस तो नहीं लौट सकते ....मगर आने वाले पल को ज़रूर मीठा बना सकते हैं...
सुन्दर प्रस्तुति पूनम जी .
पूनम जी बहुत सच कहा आपने।
कभी कभी यादें जीने का सहारा भी बन जाती,
यादें कभी लौट के नहीं आती हैं।
यादों पर हमारा वश नहीं होता,
जितना भुलाते हैं उतना ही याद आतीं हैं।
यादों को दोष हम क्यो दोष दें दिनेश,
परिस्थितियाँ हमें समझौता करना सिखाती हैं।
सुन्दर भावों को व्यक्त करती हुई रचना की प्रस्तुति
के लिये बधाई.....
सुन्दर, अति सुन्दर, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारें
आपके ब्लॉग पर आगमन और समर्थन का आभारी हूँ.
wah lajabab prastuti poonam ji.....vakai ap ne bahut sundar rachana likhi hai.
दरअसल हम लोग वर्तमान में जीना जानते ही नहीं ....और वर्तमान जब भूत हो जाता है ...तो छटपटाते रह जाते हैं ......लेकिन तब तक तीर चल चुका होता है ....!
सही कहा पूनमजी ....मन की बात कह दी आपने ...
परिस्थिति से समझौता ही तो जिंदगी है... बहुत अच्छी रचना, बधाई.
आपकी रचना पढ़कर एक गीत याद आ गया.."ये न हो ...ऐसा कभी होता नहीं ...हसरतें ही हसरतें हैं "...बहुत खूब लिखा है आपने!!
Good wishes,
Kavya Sangaraha : My Hindi Poems
GOAAAASHHH!!! I couldn't stop smiling!!
Glorious article!
Glorious blog!
बीता समय तो वापस नहीं आ सकता
लेकिन हाँ, हम आने वाले समय में बीते समय को जी सकते हैं ..
मुश्किल है क्या :-)
सुंदर रचना !!
जीवन का ये सच, सच में बड़ा टीस देता है, बीता वक्त लौटता क्यों नहीं? सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई.
अच्छी सारगर्भित प्रस्तुति.
जीवन पथ पर सकारात्मक चिंतन के
साथ आगे ही बढते रहना चाहिये.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
आपका ११३ वाँ फालोअर बनते हुए मुझे खुशी
हो रही है.
समझौता ही जीवन है... भावपूर्ण अभिव्यक्ति, बधाई.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
ब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...
bahut khub, ati sunder
The real replication of the inner thought of a poet's heart.... Bhaut badhiya ...
ek bar firse kavita ne dharti pr jivan ko bcha liya
this is for jeevan path,
yun kaha ki sab kuch kah gaye , yuu socha ki sabd feeke pad gaye, jeevan ka saar paribhashit karne ki kosis me Poonam Ji
itna saral jeevan darshan ki hum apne jeevan ki yado me kho gaye..
thanks Mam
Post a Comment