मै कोई बदली तो नहीं ,
बरस जाऊँ किसी आँगन में ।
घटा हूँ घनेरी,
बुझाती हूँ तृष्णा तपती धरती की .......
मै कोई जलधार तो नहीं,
बिखर जाऊँ कहीं धरा पर ।
सागर हूँ अपार,
छिपाती हूँ धरोहर निज गहराई में......
मै कोई आँचल तो नहीं,
ढक लूँ झूमते हुए उपवन को।
रजनी हूँ पूनम,
निभाती हूँ नई सुबह जीवन की......
मै कोई किरण तो नहीं,
सिमट जाऊँ किसी मन में।
चांदनी हूँ धवल,
समाती हूँ अन्धकार के जीवन में......
मैं कोई श्रष्टा तो नहीं,
कर दूँ निर्माण श्रृष्टि का।
श्रष्टि हूँ सम्पूर्ण ,
देती हूँ कोख श्रष्टा को भी......
पूनम अग्रवाल........
बरस जाऊँ किसी आँगन में ।
घटा हूँ घनेरी,
बुझाती हूँ तृष्णा तपती धरती की .......
मै कोई जलधार तो नहीं,
बिखर जाऊँ कहीं धरा पर ।
सागर हूँ अपार,
छिपाती हूँ धरोहर निज गहराई में......
मै कोई आँचल तो नहीं,
ढक लूँ झूमते हुए उपवन को।
रजनी हूँ पूनम,
निभाती हूँ नई सुबह जीवन की......
मै कोई किरण तो नहीं,
सिमट जाऊँ किसी मन में।
चांदनी हूँ धवल,
समाती हूँ अन्धकार के जीवन में......
मैं कोई श्रष्टा तो नहीं,
कर दूँ निर्माण श्रृष्टि का।
श्रष्टि हूँ सम्पूर्ण ,
देती हूँ कोख श्रष्टा को भी......
पूनम अग्रवाल........
26 comments:
beautiful expressions. keep it up. also want to more about your artist side. is there another blog about your artworks ? thanks, rashi
बहुत ही सुंदर कविता कही है आप ने, आखरी पहरा तो बहुत ही सुंदर लगा.
धन्यवाद
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं
First of all Wish u Very Happy New Year...
Bahut sunder kavita
BAdhai..
wah wah kya sundar abhivyakhti hai . bahut acchi rachana .
मैं कोई श्रष्टा तो नहीं,
कर दूँ निर्माण श्रृष्टि का।
श्रष्टि हूँ सम्पूर्ण ,
देती हूँ कोख श्रष्टा को भी......
this is the best ..
aapne bahut accha likha hai , badhai .
vijay
pls visit my blog : http://poemsofvijay.blogspot.com/
जब अनुभूति गहरी होकर अन्तर समा जाय तो क्यों न ऐसी अभिव्यक्ति का विस्फ़ोट हो -
"मै कोई किरण तो नहीं,
सिमट जाऊँ किसी मन में।
चांदनी हूँ धवल,
समाती हूँ अन्धकार के जीवन में......"
आपकी इस रचना को गहरे अन्तर्मन से अनुभूत कर रहा हूं, और चेष्टा कर रहा हूं उस मनोदशा का समधर्मी बनने की जिसमें यह रचना संभव हुई.
नव-वर्ष की शुभकामनायें.
नारी तुम केवल श्रद्धा हो......अति सुंदर ..... साभार.... नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें....
kya baat hai...!
beautiful expressions. keep it up. also want to more about your artist side. is there another blog about your artworks ? thanks,........rashi ji se soorry ke saath........!!
शब्दों के माध्यम से भाव और िवचार का श्रेष्ठ समन्वय िकया है आपने । अच्छा िलखा है आपने ।
आपको नववषॆ की बधाई । नया आपकी लेखनी में एेसी ऊजाॆ का संचार करे िजसके प्रकाश से संपूणॆ संसार आलोिकत हो जाए ।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत ही सुंदर कविता कही है
हे प्रभु यह तेरापथ के परिवार कि ओर से नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये।
कल जहॉ थे वहॉ से कुछ आगे बढे,
अतीत को ही नही भविष्य को भी पढे,
गढा हैहमारे धर्म गुरुओ ने सुनहरा इतिहास ,
आओ हम उससे आगे का इतिहास गढे
shristi hun sampurna
deti hu kokh shrasta ko...
mahan abhivyakti hai ye likhati rahiye..
मैं कोई श्रष्टा तो नहीं,
कर दूँ निर्माण श्रृष्टि का।
श्रष्टि हूँ सम्पूर्ण ,
देती हूँ कोख श्रष्टा को भी......
बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें....
मैं कोई श्रष्टा तो नहीं,
कर दूँ निर्माण श्रृष्टि का।
श्रष्टि हूँ सम्पूर्ण ,
देती हूँ कोख श्रष्टा को भी..
बहुत ही सुंदर कविता है
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं
सशक्त रचनात्मक अभिव्यक्ति।
सुझाव:
१. फॉण्ट रंग कुछ बदलें। तारीख दबी नजर आती है।
२. फीड में आपका ब्लॉग आ जाता है। वहां से राइट-क्लिक कर कोई भी कॉपी कर सकता है। सो राइट-क्लिक बाधित करने का विशेष फायदा नहीं। उल्टे घाटा ही है रीडरशिप का। :)
poonam ji,
nari ke bare me apke vichar kabile tarif hai.
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
Nice Poem
भावों की इतनी सटीक अभिव्यक्ति ......लाजवाब
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
waah waah.........bahut khoob........aakhiri panktiyon mein to kamaal hi kar diya.
painting is very nice
gardugafil.blogspot.com
apki kavita deti hun kokh--- bahut saumay aur saras rachana hai.me ise apni patrika me chhapn chahunga.Ratan Jain ,Parihara331505
bahut hi sunder aur saar garbhit kavita likhi hai.
Parh kar mann prasannchitt ho gaya.
With Regards,
Mahesh.
Hamilton, New Zea land.
bahut hi sunder aur saar garbhit kavita likhi hai.
Parh kar mann prasannchitt ho gaya.
With Regards,
Mahesh.
Hamilton, New Zea land.
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