आसमां के नजारों में तुम्हे पाया है,
चमन के सितारों में तुम्हे पाया है।
अफ़साने कुछ इस कदर बदले मेरे,
जिधर देखू उधर तुम्हे ही पाया है॥
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तसव्वुर में भी अश्क उभरे है जब कभी,
पलकों से मेरी उन्हें तुमने चुरा लिया।
यादों के गहरे साए ने घेरा है जब कभी,
सदा देकर तुमने मुझको बुला लिया॥
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अब और क्या मांगूं मैं खुदा से,
तेरा प्यार मिला दुनिया मिल गयी।
सदा साथ तेरा युही बना रहे,
मांगने को यही दूआ हमे मिल गयी॥
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तुम्हे गैरों से कब फुर्सत ,
हम अपने गम से कब खाली ।
चलो अब हो गया मिलना,
न तुम खाली न हम खाली।
पूनम अग्रवाल .......
चमन के सितारों में तुम्हे पाया है।
अफ़साने कुछ इस कदर बदले मेरे,
जिधर देखू उधर तुम्हे ही पाया है॥
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तसव्वुर में भी अश्क उभरे है जब कभी,
पलकों से मेरी उन्हें तुमने चुरा लिया।
यादों के गहरे साए ने घेरा है जब कभी,
सदा देकर तुमने मुझको बुला लिया॥
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अब और क्या मांगूं मैं खुदा से,
तेरा प्यार मिला दुनिया मिल गयी।
सदा साथ तेरा युही बना रहे,
मांगने को यही दूआ हमे मिल गयी॥
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तुम्हे गैरों से कब फुर्सत ,
हम अपने गम से कब खाली ।
चलो अब हो गया मिलना,
न तुम खाली न हम खाली।
पूनम अग्रवाल .......
24 comments:
चलो अब हो गया मिलना,
न तुम खाली न हम खाली।
bahut khooob. milna ho to bahaane darmiya nhi hote..
kam se kam shero shayree karne kee firsat to hai aapke paas.
बहुत खुब.एक से बढ कर एक
धन्यवाद
bahut hi accha laga padna......
aapke blog par siway khushi ke....
aur sundar ehsason ke alawa mil bhi kya sakta hai......
dil se jo likhte ho aap..
to sidhe dil mei jata hai....
तसव्वुर में भी अश्क उभरे है जब कभी,
पलकों से मेरी उन्हें तुमने चुरा लिया।
is trha ka payar mile to jindgi safal..or aisa hota bhi ha ..bahut khub likha aapne sabhi bahut ache han...
तुम्हे गैरों से कब फुर्सत ,
हम अपने गम से कब खाली ।
चलो अब हो गया मिलना,
न तुम खाली न हम खाली।
बहुत खूब !!!!!!!
आपका काव्य संग्रह बहुत ही अच्छा लगा!... सभी कविताएं चित्त वेधक है!.... धन्यवाद!
बहुत अच्छी रचना है।
poonam ji achchha likha hai aapane. badhai.
ab aur kya mangu mai khuda se... bahut khub poonamji
aapki yah post bahut lajawab rahi
thanks
bahut sundar hai yah post
thanks
"तसव्वुर में भी अश्क उभरे है जब कभी,
पलकों से मेरी उन्हें तुमने चुरा लिया।"
कहने वाला बात को कितने सुंदर ढंग से पेश कर सकता है, इन पंक्तियों से यही झलक रहा है |
आसमां के नजारों में तुम्हे पाया है,
चमन के सितारों में तुम्हे पाया है।
अफ़साने कुछ इस कदर बदले मेरे,
जिधर देखू उधर तुम्हे ही पाया है॥
bahut badiya. achhe sher hain.
mere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi aayen.
अब और क्या मांगूं मैं खुदा से,
तेरा प्यार मिला दुनिया मिल गयी।
सदा साथ तेरा युही बना रहे,
मांगने को यही दूआ हमे मिल गयी॥
बहुत अच्छा लिखती हैं...
मुझे दिलासा देने के लिए बहुत शुक्रिया....
वैसे इस ज़माने में कौन किसे दिलासा देता है...
मुझे नयी मंजिल की तलाश रहेगी...
---मीत
वाह क्या बात है........
हर बात दिल के बहुत करीब है. आपकी की रचना मैं एक अलग ही आनंद है.
बेहद खूबसूरत रचना है... आप की लिखावट मे बहुत गहराई है.
आकाश
chalo ab ho gaya milana
na tum khali na hum khali...
sachmuch sansar aise hi to chal raha hai...apki kalam me jadu hai.
कल्पना में भी आंसू नहीं आने दिया और न यादों को पारेशान करने दिया /अतुलनीय कल्पना
Kavitaaon ke saath sher-o-shaayari ka samanvay bahut khoobsurat hai. Good keep it up.
कहीं पर सुना था .आप की लाइनें पढ़कर याद आया ;
सब कुछ खुदा से मांग लिया तुझको मांग कर
उठते नहीं हैं हाथ मेरे इस दुआ के बाद
वाह ! बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति...
बहुत ही अच्छी नज़्म .. शब्द बोल रहे है खुद अपनी कहानी ...बधाई
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
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