एक चिडिया नन्ही सी
लेकर छोटी सी आशा
सुनहरी सी धूप मे
नारंगी गगन के तले
नन्हें से सपने पले
बेखबर बेखौफ होकर
चल पड़ी भरने उडान
तैरती हुई मंद पवन में
निहारती सुन्दर धरती को
अकेली गुनगुनाती हुई
सुख से मुस्काती हुई
नही था शौक उसका
सबसे ऊँची उडान भरुंगी
ऊँची इमारत पर चधूगी
तैरती हुई मंद पवन में
थक जायगी जब -
कही भी उतर जायेगी
ठिकाना जहाँ पायेगी
बीते कुछ पल गाते हुए
सुख से भरमाते हुए -
यकायक डोर आ छू गयी
पंख उसके पसर गए
मंद पवन में बसर गए
धरती पर वो बिखर गयी
आशाये उसकी फिसल गयी
आँखे थी उसकी नम
दिल में था गम-
सोच रही है बिखरी हुई
डोर से छितरी हुई
क्या था कसूर मेरा ?
क्यों हाल हुआ तेरा ?
खून का कतरा न था
पर था दोष किसका-
शायद कही डोर का
डोर वाला है बेखबर
दोष है हवा के झोके का ....
कई अख्स उभर आते है
चिडिया में उतर जाते है
सोचती हूँ कई बार-
एक अक्स कही मेरा तो नही.........
पूनम अग्रवाल.......
लेकर छोटी सी आशा
सुनहरी सी धूप मे
नारंगी गगन के तले
नन्हें से सपने पले
बेखबर बेखौफ होकर
चल पड़ी भरने उडान
तैरती हुई मंद पवन में
निहारती सुन्दर धरती को
अकेली गुनगुनाती हुई
सुख से मुस्काती हुई
नही था शौक उसका
सबसे ऊँची उडान भरुंगी
ऊँची इमारत पर चधूगी
तैरती हुई मंद पवन में
थक जायगी जब -
कही भी उतर जायेगी
ठिकाना जहाँ पायेगी
बीते कुछ पल गाते हुए
सुख से भरमाते हुए -
यकायक डोर आ छू गयी
पंख उसके पसर गए
मंद पवन में बसर गए
धरती पर वो बिखर गयी
आशाये उसकी फिसल गयी
आँखे थी उसकी नम
दिल में था गम-
सोच रही है बिखरी हुई
डोर से छितरी हुई
क्या था कसूर मेरा ?
क्यों हाल हुआ तेरा ?
खून का कतरा न था
पर था दोष किसका-
शायद कही डोर का
डोर वाला है बेखबर
दोष है हवा के झोके का ....
कई अख्स उभर आते है
चिडिया में उतर जाते है
सोचती हूँ कई बार-
एक अक्स कही मेरा तो नही.........
पूनम अग्रवाल.......
8 comments:
पूनम जी, बहुत सुन्दर रचना है।आप की कविता में पूरा जीवन दर्शन छुपा है।
कई अख्स उभर आते है
चिडिया में उतर जाते है
सोचती हूँ कई बार-
एक अक्स कही मेरा तो नही.........
great..so sweet
too many hopes and too many struuggles...........a little bit of of sweet,a little bit of sour.........
fly as high as you can.......against the air......
there are always obstacles.......but who cares
this is your hope,your way............dont be disappointed......
you can fly higher...........and higher and.............
again a good one.........
कई अख्स उभर आते है
चिडिया में उतर जाते है
सोचती हूँ कई बार-
एक अक्स कही मेरा तो नही.........
चिडिया का सुन्दर प्रतीकात्मक प्रयोग किया है .साधुवाद.
vyakul mann ki vyatha kya. shabdo se byan hogi
rahe na hum, chalo ye mana, per khawahishe to sada hongi
I would like to invite you in www.khawahish.com
अत्यंत सुंदर भाव और उतनी ही सुन्दर कृति|
Prateek ka bahut sundar evam sashakt prayog. Is kavita ke liye badhai.
Really nice creation...but i will request you to have more happy and cheerful endings...still its a really nice one.
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