हम बढ़ जाते है आगे ,
इस जीवन पथ पर .
छूट जाता है ,
बहुत कुछ पीछे .
कुछ खट्टी कुछ मीठी ,
यादें साथ चलती है .
सोचती हूँ कई बार -
काश! हम लौट पाते,
उन पलों में वापिस,
किसी खटास को ,
मिठास में बदल पाते.
उन पलों को वैसा ही
जी पाते दोबारा ,
जैसा आज चाहते है .
पर ऐसा हो नहीं सकता.
तब - कर लेते है
हम समझौता ,
अपने वर्तमान से ,
अपनी परिस्थिति से .
यही जीवन है
और
यही सच भी .....
पूनम अग्रवाल ....