महक रही है फिजा कुछ इस तरह,
खुली पलकों में तसव्वुर अब पलने लगे है।
पिंघल रही है चांदनी कुछ इस तरह ,
ख्याल तेरे गज़लों में अब ढलने लगे है।
उभर रही है आंधियां कुछ इस तरह,
सवाल मेरे लबों पर अब जलने लगे है।
मचल रहे है बादल कुछ इस तरह,
जलते सूरज के इरादे अब टलने लगे है।
छलक रहे है सीप से मोत्ती कुछ इस तरह ,
मीन को सागर में वो अब खलने लगे है।
बढ़ रही है तन्हाईयाँ कुछ इस तरह,
कदम मुड़कर तेरी तरफ़ अब चलने लगे है।
उतर रही है मय कुछ इस तरह,
हम ख़ुद-बखुद ही ख़ुद को छलने लगे है॥
पूनम अग्रवाल ........
खुली पलकों में तसव्वुर अब पलने लगे है।
पिंघल रही है चांदनी कुछ इस तरह ,
ख्याल तेरे गज़लों में अब ढलने लगे है।
उभर रही है आंधियां कुछ इस तरह,
सवाल मेरे लबों पर अब जलने लगे है।
मचल रहे है बादल कुछ इस तरह,
जलते सूरज के इरादे अब टलने लगे है।
छलक रहे है सीप से मोत्ती कुछ इस तरह ,
मीन को सागर में वो अब खलने लगे है।
बढ़ रही है तन्हाईयाँ कुछ इस तरह,
कदम मुड़कर तेरी तरफ़ अब चलने लगे है।
उतर रही है मय कुछ इस तरह,
हम ख़ुद-बखुद ही ख़ुद को छलने लगे है॥
पूनम अग्रवाल ........
45 comments:
खुली पलकों में तसव्वुर अब पलने लगे है।
वाकई खूबसूरत कहन है आपके केन्वासों जैसा ही
श्याम सखा‘श्याम’
कविता या गज़ल में हेतु मेरे ब्लॉग पर आएं
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
पूनम जी,
बहोत सुंदर प्रयास है आपका ...उम्मीद है अगली बार और निखार आएगा आपकी रचना में ....!!
बहुत सुन्दर पूनम जी बधाई,
हम चाहते ही रह गये ,चाहें नहीं उन्हें,
वो हाथ लेकर हाथ में, क्स्में दिला गये।
अब क्या कहें,क्या ना कहें मज़्बूर यूं हुए,
सब कुछ तो उनसे कह गये,बातों में आगये।
Pighal rahi hai chandni kuch is tarah,
Khayal tere ghazlon mein ab dhalne lage hein..........
Behad sunder rachna hai, isi tarah likhte rahiye........agli post ka intezaar rahega............
मचल रहे है बादल कुछ इस तरह,
जलते सूरज के इरादे अब टलने लगे है।
achchhi lagi
I really like the way you write poonam ... I wish I could also write a poem .. very nice ... Congratulations....
waakai is kavita ka jabaab nahi...mai to picture dekh hi sabkuchh bhul gaya...
kamaal hai
aap kaise itna acha likh leti hain.
पूनम जी,
बहुत अच्छी बात कही है :-
उभर रही है आंधियां कुछ इस तरह,
सवाल मेरे लबों पर अब जलने लगे है।
आनंद आ गया, बधाईयाँ,
मुकेश कुमार तिवारी
आज कुछ अच्छा पढने का मन हुआ // "दस्तक आ गई है" तथा "छलने लगा है" / दोनों सुंदर रचनाएँ पढीं /एक सद्भाव से ,विनम्रता पूर्वक निवेदन कि ऐसी परिपाटी चली आरही है कि गजल या कविता में कवि या शायर का नाम आजाता है ,वह भी अंतिम लाइन में फिर वे चाहे कृष्णबिहारी नूर हों या मिर्जा ग़ालिब /मीर हों या जफ़र , सूर हों या तुलसी ,रत्नाकर हों या पद्माकर , ऐसा इन दोनों रचनाओं के साथ नहीं हो सकता क्या ?मसलन -""क्यों छलकता है दिल हरदम पूनम का ""तथा ""उतर रही है मय कुछ इस तरह कि पूनम "" /मैं पहले ही निवेदन कर चुका हूँ कि यह टिप्पणी पूर्णरूपेण सद्भावना से लिखी गई है
poonam, bahut sundar rachana hi!!!kaash kum bhi kuch is tarah likh paatey!!!
bahut khoob..
waiting for your next post Poonam!
"उतर रही है मय कुछ इस तरह,
हम ख़ुद-बखुद ही ख़ुद को छलने लगे है॥"
ये पंक्तियाँ तो कमाल हैं जी..
और लिखिए..
जब हरकीरत जी ने आपकी प्रशंशा कर दी तो हम कौन हैं...
वो बहुत आगे हैं.. उनका हाथ है तो आर्शीवाद मिल गया समझें..
~जयंत
रचना बहुत अच्छी लगी।
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।आप मेरे ब्लाग
पर आएं,आप को यकीनन अच्छा लगेगा।
उभर रही है आंधियां कुछ इस तरह,
सवाल मेरे लबों पर अब जलने लगे है।
बहुत खूब कहा पूनम जी !!!
शब्दचित्र से
चित्र अधिक भाए.
कविता
केवल भाव लिए है.
चित्र
रंग आकार लिये हैं.
वह अमूर्त
ये मूर्त मिले हैं.
वे अंकुर
ये फूल खिले हैं.
'सलिल' न इनसे
नयन हटा पाए...
आपसे मोटिवेट होकर कह रहा हूँ......
छलक रहे हैं कुछ शब्द
होठों पर मचल रहें हैं....!!
मचल रहें हैं कुछ गीत
गले से निकल रहे हैं....
"पिंघल रही है चांदनी कुछ इस तरह ,
ख्याल तेरे गज़लों में अब ढलने लगे है।
बढ़ रही है तन्हाईयाँ कुछ इस तरह,
कदम मुड़कर तेरी तरफ़ अब चलने लगे है।"
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियों के माध्यम से आपने ये भानाये उतारी है.....
बहुत खूब....
बधाई...
"उतर रही है मय कुछ इस तरह,
हम ख़ुद-बखुद ही ख़ुद को छलने लगे है॥"
these last 2 lines are just amszing..
really a nice gazal.. :)
सरल शब्दों से इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति! वाह...मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा...मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..
बेहद मासूम अभिव्यक्तियाँ. कम शब्दों में ज्यादा कहने की अदा....शुभकामनायें !!
_____________________
एक गाँव के लोगों ने दहेज़ न लेने-देने का उठाया संकल्प....आप भी पढिये "शब्द-शिखर" पर.
poonam ji , main bahut der se aapke blog par bhatak raha hoon . kahin ruk jaata hoon ,kahin sochta hoon .. aap to bus kamal hai ji .. painting ne to dil jeet liya .. aur ab ye gazal .. bahut sundar rachna .. bhaavnao ki sacche expression liye hue..
meri dil se aapko badhai ..
meri nayi poem par kuch kahiyenga to mujhe khushi hongi sir ji ..
www.poemsofvijay.blogspot.com
vijay
behtareen
aapka blog bahut pasand aaya
aap bahut hi achchha likhti hain
bahut achha
bahut khoobsurat sher, pyari si avivyakti
बढ़िया भाव, अच्छी कहन
वीनस केसरी
bahut hi acchi gazal hai ....
sundar bhav.........
sshakt ehsaason ko samete huye.
अक्षय-मन
bahut umda likhti hai aap usse kahi zyadah aapki paintings mutassir ki hume....aapke likhe aur banaye gaye sabhi ....dil ki gahriyayiyon tak chu gayi ....kya baat hain aap ek achchi sharia ke saath sath aapke arts ke kya kahne
GOD bless u
पिंघल रही है चांदनी कुछ इस तरह ,
ख्याल तेरे गज़लों में अब ढलने लगे है।
deserves a standing ovation...chand aur chaandni pe aise bhi kuch likha gaya kaafi pasand hai...aur yahaan to maamla behad pyaara hai...great work...
www.pyasasajal.blogspot.com
पिंघल रही है चांदनी कुछ इस तरह ,
ख्याल तेरे गज़लों में अब ढलने लगे है।
मचल रहे है बादल कुछ इस तरह,
जलते सूरज के इरादे अब टलने लगे है।
सुंदर
आप सबको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...
DevPalmistry
Jalte sooraj ke irade talne lage hain...sunder..
sundar evam bhavpoorn panktiyan....
badhai.
Poonam
बहुत सुन्दर पूनम जी बधाई,
aapki rachana padhate samay laga manon kisi painter ki portarit dekh raha hoon.Har shabd ko badi hi khoobsoorati se piroya hai aapne.
ati uttam ,bahut sundar likha hain apne
jab kabhi kisi ka dil seedhe prakarti se takker le to samaj lena chahiye
ki hain dil main arman unke bhi
bus batane ke liye humdard nahi milta
poonam ji ,poori rachana behatrin kuchh ke liye kya kahoo ?blog pe aayi aabhaari hoon .
बहुत अच्छी रचना ..बधाई
Very beautiful!
बढ़ रही है तन्हाईयाँ कुछ इस तरह,
कदम मुड़कर तेरी तरफ़ अब चलने लगे है।
Bahut pyari kavita...
sunder!!
आपका ब्लॉग देखा ...
सुन्दर रचना ........
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khayal ter3e gazlon mein ab dhalne lage
wah wah ...kya baat ...khayalon kaa yun gazlon mein dhalna ...sab kuch keh diya kuch na kehte hue
..wah wah
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