जब एक माँ अपनी नाजों से पली बेटी को उसके सपनो के राजकुमार के साथ विदा करती है। उस समय जो एहसास ,जो ख्याल मेरे मन को भिगो गए- शायद हरेक की ममता इसी तरेह उमड़ पड़ती होगी ........
ये रचना सिर्फ मेरी बिटिया के लिए ......
समाई थी सदा से
वो मुझमें ...
एक अंश के तरह॥
एहसास है एक
अलगाव का
पिंघल रहा है ...
क्यों आज मेरी
आँखों में ...
ख्याल आते गए
बहुत से...
आकर चले गए
खुश हूँ मैं ...
इसलिए की
अंश मेरा
खुश है......
--------------
ख्यालो की तपिश से
पिंघल रही है
बरफ आँख की...
रिश्ता कोई हाथों से
फिसल रहा
हो जैसे...
ये रचना सिर्फ मेरी बिटिया के लिए ......
समाई थी सदा से
वो मुझमें ...
एक अंश के तरह॥
एहसास है एक
अलगाव का
पिंघल रहा है ...
क्यों आज मेरी
आँखों में ...
ख्याल आते गए
बहुत से...
आकर चले गए
खुश हूँ मैं ...
इसलिए की
अंश मेरा
खुश है......
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ख्यालो की तपिश से
पिंघल रही है
बरफ आँख की...
रिश्ता कोई हाथों से
फिसल रहा
हो जैसे...
3 comments:
बहुत खूबसूरत भाव हैं.
The way you have expressed the feelings of a mother...is really touching...beautiful words(Aadhe to samajh hi nai aaye - B2)...amazing poem...we really liked it...viki and B2.
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