
नारी.....
ईश्वर  की  अनूठी  रचना हूँ  मै
हाँ  !  नारी  हूँ  मैं .........
कभी जन्मी कभी अजन्मी हूँ मैं ,
कभी  ख़ुशी  कभी  मातम हूँ  मैं .
कभी  छाँव  कभी धूप  हूँ  मैं,
कभी एक में अनेक रूप हूँ मैं.
कभी बेटी बन महकती हूँ  मैं,
कभी बहन बन चहकती हूँ मैं .
कभी साजन  की मीत हूँ  मैं ,
कभी मितवा की  प्रीत हूँ मैं .
कभी  ममता की  मूरत  हूँ  मैं ,
कभी अहिल्या,सीता की सूरत हूँ मैं .
कभी मोम सी कोमल पिंघलती हूँ मैं,
कभी चट्टान सी अडिग  रहती  हूँ मैं .
कभी  अपने  ही अश्रु  पीती  हूँ  मैं,
कभी स्वरचित दुनिया में जीती हूँ मैं .
ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै,
हाँ  ! नारी हूँ मै .....
पूनम अग्रवाल .....
 

