क्यूँ छिटकी है चांदनी आसमां पर.....
क्यूँ बिखरे है रंग जमीं पर.....
क्यूँ हवाओं में ताजगी सी है ....
लगता है कहीं से बहार आ गयी है। ।
क्यूँ ताजगी सी है हवाओं पर ....
क्यूँ बिछी है नजरें राहों पर....
क्यूँ इन्तजार की इन्तहां हो गयी है....
लगता है बेमोसम बरसात आ गयी है॥
क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी है॥
क्यूँ महकते ही पत्ते शाखों पर .....
क्यूँ लहराती है जुल्फें शानो पर.....
क्यूँ छलकता है दिल हरदम .....
लगता है तेरे आने की दस्तक आ गयी है॥
पूनम अग्रवाल .....
क्यूँ बिखरे है रंग जमीं पर.....
क्यूँ हवाओं में ताजगी सी है ....
लगता है कहीं से बहार आ गयी है। ।
क्यूँ ताजगी सी है हवाओं पर ....
क्यूँ बिछी है नजरें राहों पर....
क्यूँ इन्तजार की इन्तहां हो गयी है....
लगता है बेमोसम बरसात आ गयी है॥
क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी है॥
क्यूँ महकते ही पत्ते शाखों पर .....
क्यूँ लहराती है जुल्फें शानो पर.....
क्यूँ छलकता है दिल हरदम .....
लगता है तेरे आने की दस्तक आ गयी है॥
पूनम अग्रवाल .....
31 comments:
Atyant bhavpurna.Badhai.
बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की यह सुंदर सी कविता.
धन्यवाद
Mere aane ki dastak hi nahi mai bhi aa gaya. ha ha ha ha ha.
sundar rachana.
-------------------------"VISHAL"
बेमौसम बरसात का मजा ही कुछ और है... चलिए बादलों ने समय से पहले दस्तक तो दी...
Outstanding .. Amazing and ultimate .. those were the feelings when i was abt to get married .. i really appreciate .. thankyou
आज जब निराशा ने घेर लिया तो सोचा इंटरनेट पर ही देखे कुछ सकारात्मक विचार बढ़ने के नुस्खे /वह एकवहां एक कविता पढी ""फूल बोला शूल से तू मत हो उदास ""कविता अच्छी लगी तो इस ब्लॉग पर आयायहाँ भी एक सकारात्मक सोच की भावः प्रधान ,प्राकृतिक रचना पढने को मिली /अच्छा लगा
बहुत खूबसूरत भाव भरा गीत । बधाई आपको ।
bahut sunder rachna, badhai. poonam ji mujhe apni pasand banane ke liye dhnayawaad.
क्यूँ महकते ही पत्ते शाखों पर .....
क्यूँ लहराती है जुल्फें शानो पर.....
क्यूँ छलकता है दिल हरदम .....
लगता है तेरे आने की दस्तक आ गयी है॥
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्तियाँ...बधाई !!
bahut khoob surat..
अरे वाह........आपने तो क्यूँ-क्यूँ कहते-कहते.........सब कुछ ही कह दिया....और अंत में......इसे ही भाव कहते हैं....और उससे उपजी कविता.....तभी तो मुंह से निकलता है....क्या बात है...!!
क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी है॥
waah !bahut hi sundar kavita hai.
taaza hawa ke jhonke jaisee!
क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी
Poonam ji,
apne prakriti aur bhavnaon ka achchha samanjasya baithaya hai is kavita men.badhai.
Hemant Kumar
simder rachna.
Thanks for joining my blog "thatCoffee". My new blog's link is
http://parastish.blogspot.com/
God bless
RC
khoobsurat! badhayi..
बहुत खूबसूरत भाव हैं ...मुझे पढ़कर बहुत अच्छा लगा
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
क्यूँ महकते ही पत्ते शाखों पर .....
क्यूँ लहराती है जुल्फें शानो पर.....
क्यूँ छलकता है दिल हरदम .....
लगता है तेरे आने की दस्तक आ गयी है॥
adbhoot !! accha likha hai aapne badhai sweekarein !!
अच्छी रचना लिखी आपने ...बधाई...
क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
beautiful lines...thanks for post..
बहुत सुन्दर.........बधाई.
सहज और सुन्दर.. और बहुत बहुत भावपूर्ण
बधाई!!
सुंदर भावों और शब्दों का समन्वय है। बधाई।
aur jab dastak aa hi gayi hai to iska bhi aasara ho ki waqt ab to badega aur khushiyan apne ghar aayeingi.
Navnit Nirav
akhiri panktiyo ka kaafiya bahut sahi nahi hai...aise pehli kuchh panktiyaan bahut achhi lagi
अपने ब्लॉग पुरातत्ववेत्ता पर आपकी दस्तक से उभरे चिन्हों का अनुसरण करता हुआ आपकी कलम और कूची से किये हुए सृजन तक पहुंचा .मुझे अच्छा लगा कलम से उकेरे गये चित्र और ब्रश से की गई कविता देखकर.मेरा स्नेह और बधाई.-शरद कोकास
pahalee var aana hua sarthak raha.bahut hee sunder rachana hai aapakee badhai.
nice poem
i liked it
ati sundar.....chhu lene wali kavita.
क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी है॥
waah!kya kalpana hai!!!
lovely poem aunty,
describes perfectly the feelings of a girl in love..........:-)
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