Monday, August 25, 2008

स्वप्न

स्वप्न यहाँ पलकों पर ,
सजा करते है।
साकार हो जाता है ,
जब स्वप्न कोई।
दिन बदल जाते है,
रातें बदल जाती है।
बिखर जाता है,
जब स्वप्न कोई ।
तब भी----
दिन बदल जाते है,
रातें बदल जाती है।
अश्क उभर आते है,
दोनों ही सूरतों में।
फर्क बस है इतना-
कभी ये सुख के होते है ।
कभी ये दुःख के होते है।
स्वप्न यहाँ पलकों पर,
सजा करते है .....
पूनम अग्रवाल ....

2 comments:

seema gupta said...

दोनों ही सूरतों में।
फर्क बस है इतना-
कभी ये सुख के होते है ।
कभी ये दुःख के होते है।
" hi welcome on blog word, really liked ur creations, great thoughts towards life, keep it up and be in touch"

Regards

अविनाश said...

NICE POEM