तंग हो गली
या कि सड़क धुली हुई ,
राह को एक चुनना होगा।
आँखें हो बंद
या कि खुली हुई
स्वप्न तो एक बुनना होगा।
बातें कुछ ख़ास
या कि यादें भूली हुई,
वायदा कोई गुनना होगा।
सन्नाटा हो दूर
या कि हलचल घुली हुई,
आवाज को मन की सुनना होगा॥
पूनम अग्रवाल
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5 comments:
राह कोई जरूर चुनिए, स्वप्न जरूर कई बुनिए
वायदे चाहे जितने गुनिए, लेकिन आवाज सिर्फ और सिर्फ मन की ही सुनिए...
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr
अभी तक शायद आपके ब्लाग पर नहीं पहुंची थी ...आज आपके अनुरोध पर ही सही , आयी तो काफी अच्छा लगा। सभी कविताएं सुंदर ढंग से लिखी गयी हैं...निश्चिंति से एक बार पुन: आकर कविताओं का रसास्वादन करूंगी। आपकी लिखी और कविताओं का भी इंतजार रहेगा।
इस दुनिया मैं आये हें तो जीना ही पडेगा---अस्त
एक त्रिपदा अगीत--
जीवन है आसान ,कठिन भी,
अनुभव इसमें कैसे-कैसे ;
प्रेम -प्रीति से जीले मानव ।
v nice poems . I liked it v much .
u can visit my father's site http://shivnarayanjohri.blospot.com
Ur comments r most welcom there .
madhu
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