जिस कश्ती पर हुए सवार ,
हवाओं ने रुख को बदल लिया।
गुनगुनाने की चाहत क्या की,
गीतों ने सुर को बदल लिया।
संवरना चाहा जब भी कभी,
आइने ने खुद को बदल लिया।
मुस्कुराने की बात क्या की,
मुखोंटों ने मुख को बदल लिया...
पूनम अग्रवाल....
Tuesday, August 21, 2007
Sunday, August 5, 2007
अब कभी न हंस पाएंगे ....
न कर ख्वाहिश मुझसे तू फिर उस शाम की।
अब वो अश आर कभी सुनाये ना जायेंगे ।
ए दोस्त! पहले ही एहसान बहुत हैं मुझपर,
मुझसे दुआ को अब हाथ उठाये न जायेंगे।
दिल की दुनिया में शिवाले बनाने की कमी है,
मेरे लब पे वो अफ़साने न कभी बिखर पायेंगे।
जिन्दगी तो मेरी बस खिजा बनकर रह गयी ,
अब अपने नजरे करम का नजराना न करा पाएंगे।
गम लेकर खुशियो को बाँट दिया है हमने ,
हर जगह रुस्वां हुये अब कभी न हंस पायेंगे.......
अब वो अश आर कभी सुनाये ना जायेंगे ।
ए दोस्त! पहले ही एहसान बहुत हैं मुझपर,
मुझसे दुआ को अब हाथ उठाये न जायेंगे।
दिल की दुनिया में शिवाले बनाने की कमी है,
मेरे लब पे वो अफ़साने न कभी बिखर पायेंगे।
जिन्दगी तो मेरी बस खिजा बनकर रह गयी ,
अब अपने नजरे करम का नजराना न करा पाएंगे।
गम लेकर खुशियो को बाँट दिया है हमने ,
हर जगह रुस्वां हुये अब कभी न हंस पायेंगे.......
Friday, August 3, 2007
अगर आह्वान करूं चांद का...
देखती हूँ चांद को -
लगता है बहुत भला ,
सोचती हूँ कईं बार -
अगर आह्वान करूं चांद का
क्या आएगा चांद धरती पर?
अगर आ भी गया
तो बदले में कन्या रत्न
ना थमा दे कही।
मगर उस कन्या का
होगा क्या हश्र।
इस धरती की पुत्री को
धरती मे समाना पड़ता है।
वो तो दूसरी
धरती से आयी होगी।
क्या होगा उसका।
यही सोचकर -
ड़र जाती हूँ ।
नहीं करती आह्वान
चंद्रदेव का।
हे चांद ! तुम
जहाँ हो वहीँ
भले हो मुझे........
-पूनम अग्रवाल
लगता है बहुत भला ,
सोचती हूँ कईं बार -
अगर आह्वान करूं चांद का
क्या आएगा चांद धरती पर?
अगर आ भी गया
तो बदले में कन्या रत्न
ना थमा दे कही।
मगर उस कन्या का
होगा क्या हश्र।
इस धरती की पुत्री को
धरती मे समाना पड़ता है।
वो तो दूसरी
धरती से आयी होगी।
क्या होगा उसका।
यही सोचकर -
ड़र जाती हूँ ।
नहीं करती आह्वान
चंद्रदेव का।
हे चांद ! तुम
जहाँ हो वहीँ
भले हो मुझे........
-पूनम अग्रवाल
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