मेघों में फंसे सूरज,
तुम हो कहाँ?
सोये से अलसाए से,
रश्मी को समेटे हुए,
तुम हो कहाँ ?
मेरे उजालों से पूछों -
मेरी तपिश से पूंछो-
सूरज हूँ पर सूरज सा
दीखता नहीं तो क्या !
पिंघली सी तपन मेरी
दिखती है तो क्या !
मैं हूँ वही,
मैं हूँ वहीं ,
मैं था जहाँ ___
पूनम अग्रवाल ......