Thursday, March 19, 2009

दस्तक आ गयी है......


क्यूँ छिटकी है चांदनी आसमां पर.....
क्यूँ बिखरे है रंग जमीं पर.....
क्यूँ हवाओं में ताजगी सी है ....
लगता है कहीं से बहार आ गयी है। ।

क्यूँ ताजगी सी है हवाओं पर ....
क्यूँ बिछी है नजरें राहों पर....
क्यूँ इन्तजार की इन्तहां हो गयी है....
लगता है बेमोसम बरसात आ गयी है॥

क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी है॥

क्यूँ महकते ही पत्ते शाखों पर .....
क्यूँ लहराती है जुल्फें शानो पर.....
क्यूँ छलकता है दिल हरदम .....
लगता है तेरे आने की दस्तक आ गयी है॥

पूनम अग्रवाल .....

31 comments:

sandhyagupta said...

Atyant bhavpurna.Badhai.

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की यह सुंदर सी कविता.
धन्यवाद

Anonymous said...

Mere aane ki dastak hi nahi mai bhi aa gaya. ha ha ha ha ha.

sundar rachana.

-------------------------"VISHAL"

पशुपति शर्मा said...

बेमौसम बरसात का मजा ही कुछ और है... चलिए बादलों ने समय से पहले दस्तक तो दी...

Shubhali said...

Outstanding .. Amazing and ultimate .. those were the feelings when i was abt to get married .. i really appreciate .. thankyou

BrijmohanShrivastava said...

आज जब निराशा ने घेर लिया तो सोचा इंटरनेट पर ही देखे कुछ सकारात्मक विचार बढ़ने के नुस्खे /वह एकवहां एक कविता पढी ""फूल बोला शूल से तू मत हो उदास ""कविता अच्छी लगी तो इस ब्लॉग पर आयायहाँ भी एक सकारात्मक सोच की भावः प्रधान ,प्राकृतिक रचना पढने को मिली /अच्छा लगा

Asha Joglekar said...

बहुत खूबसूरत भाव भरा गीत । बधाई आपको ।

Yogesh Verma Swapn said...

bahut sunder rachna, badhai. poonam ji mujhe apni pasand banane ke liye dhnayawaad.

KK Yadav said...

क्यूँ महकते ही पत्ते शाखों पर .....
क्यूँ लहराती है जुल्फें शानो पर.....
क्यूँ छलकता है दिल हरदम .....
लगता है तेरे आने की दस्तक आ गयी है॥
_______________________________
बहुत सुन्दर अभिव्यक्तियाँ...बधाई !!

kavi kulwant said...

bahut khoob surat..

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

अरे वाह........आपने तो क्यूँ-क्यूँ कहते-कहते.........सब कुछ ही कह दिया....और अंत में......इसे ही भाव कहते हैं....और उससे उपजी कविता.....तभी तो मुंह से निकलता है....क्या बात है...!!

Alpana Verma said...

क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी है॥
waah !bahut hi sundar kavita hai.
taaza hawa ke jhonke jaisee!

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी
Poonam ji,
apne prakriti aur bhavnaon ka achchha samanjasya baithaya hai is kavita men.badhai.
Hemant Kumar

Yogesh Verma Swapn said...

simder rachna.

Pritishi said...

Thanks for joining my blog "thatCoffee". My new blog's link is
http://parastish.blogspot.com/

God bless
RC

Kavi Kulwant said...

khoobsurat! badhayi..

अनिल कान्त said...

बहुत खूबसूरत भाव हैं ...मुझे पढ़कर बहुत अच्छा लगा

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

दर्पण साह said...

क्यूँ महकते ही पत्ते शाखों पर .....
क्यूँ लहराती है जुल्फें शानो पर.....
क्यूँ छलकता है दिल हरदम .....
लगता है तेरे आने की दस्तक आ गयी है॥


adbhoot !! accha likha hai aapne badhai sweekarein !!

Dr.Bhawna Kunwar said...

अच्छी रचना लिखी आपने ...बधाई...

mark rai said...

क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
beautiful lines...thanks for post..

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर.........बधाई.

Shikha .. ( शिखा... ) said...

सहज और सुन्दर.. और बहुत बहुत भावपूर्ण
बधाई!!

महावीर said...

सुंदर भावों और शब्दों का समन्वय है। बधाई।

नवनीत नीरव said...

aur jab dastak aa hi gayi hai to iska bhi aasara ho ki waqt ab to badega aur khushiyan apne ghar aayeingi.
Navnit Nirav

Sajal Ehsaas said...

akhiri panktiyo ka kaafiya bahut sahi nahi hai...aise pehli kuchh panktiyaan bahut achhi lagi

शरद कोकास said...

अपने ब्लॉग पुरातत्ववेत्ता पर आपकी दस्तक से उभरे चिन्हों का अनुसरण करता हुआ आपकी कलम और कूची से किये हुए सृजन तक पहुंचा .मुझे अच्छा लगा कलम से उकेरे गये चित्र और ब्रश से की गई कविता देखकर.मेरा स्नेह और बधाई.-शरद कोकास

Apanatva said...

pahalee var aana hua sarthak raha.bahut hee sunder rachana hai aapakee badhai.

Hamid Siddharthi said...

nice poem
i liked it

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

ati sundar.....chhu lene wali kavita.

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

क्यूँ गुनगुनाहट सी है सांसों में....
क्यूँ तान छिडी है साजों में......
क्यूँ जुबान खामोश सी है.....
लगता है मिलन की बात आ गयी है॥

waah!kya kalpana hai!!!

Unknown said...

lovely poem aunty,
describes perfectly the feelings of a girl in love..........:-)