Wednesday, January 14, 2009

तुक्कल ....(ज़मीनी सितारे)

गुजरात में मकर संक्रान्ती के दिन पतंग - महोत्सव की अति महत्ता है। दिन के उजाले में आकाश रंगीन पतंगों से भर जाता है। अँधेरा होते ही पतंग की डोर में तुक्कल बांध कर उडाया जाता है। जो उड़ते हुए सितारों जैसे लगते है। उड़ती हुयी तुक्कल मन मोह लेने वाला द्रश्य उत्पन्न करती है। इस द्रश्य को मैंने कुछ इस तरह शब्दों में पिरोया है.........

कारवाँ है ये दीयों का,
कि तारे टिमटिमाते हुए।

चल पड़े गगन में दूर ,
बिखरा रहे है नूर।

उनका यही है कहना ,
हे पवन ! तुम मंद बहना ।

आज है होड़ हमारे मन में ,
मचलेंगी शोखियाँ गगन में।

आसमानी सितारों को दिखाना,
चाँद को है आज रिझाना।

पतंग है हमारी सारथी,
उतारें गगन की आरती।

हम है जमीनी सितारे,
कहते है हमे 'तुक्कल' ........

पूनम अग्रवाल ....

19 comments:

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह.. पूनम जी वाह.. बेहतरीन प्रस्तुति.... अच्छा.. हमारे यहां हरियाणा में पतंगे बसन्त पंचमी पर अधिक उड़ती हैं..

राज भाटिय़ा said...

पुनम जी बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने ओर विवरण भी अच्छा लगा, अगर एक आध फ़ोटो भी लगा देती तो ओर भी अच्छा लगता, जब मै भारत मै था,मेने भी एक दो बार कोशिश कि लेकिन कामजाव नही हुआ.
आप का धन्यवाद

विजय तिवारी " किसलय " said...

सुंदर अभिव्यक्ति है आपके लेखन में,
आपने रचना में शब्द संयोजन अच्छा किया है.
लिखते रहिये,
अच्छा लिख पाएँगी, बधाई पूनम जी.

पंक्ति अच्छी है -
चल पड़े गगन में दूर, बिखरा रहे हैं नूर
- विजय

निर्मला कपिला said...

bahut sunder rachnaa hai bdhai

BrijmohanShrivastava said...

पढ़ कर ऐसा लगा जैसे हम स्वम भी तुक्कल देख रहे हों

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Karvan hai ye deeyon ka
ki tare timtimate huye......
Poonam ji,
Apkee painting kee hee tarah shabdon ka sanyojan bhee bahut sundar hai.Ummeed hai age bhee achchhee kavtayen padhne ko milengee.
Hemant Kumar

neelima garg said...

interesting poem...

neelima garg said...

interesting poem...

Alpana Verma said...

bahut sundar kavita

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

waao.......to ye the tukkal....ham kyaa jane inhen...ham to thahare laal-bujhakkad..magar haan acchi lag gayi haen ye rachnaa...

Ashutosh said...

aap mere blog ke follower bane hai,iske liye aapka dhanyawaad,aap ka sneh aur sahyog isi tarah milta rahe,isi asha me hoon.

प्रदीप मानोरिया said...

पूनम जी आप जितनी कुशलता से रंगों को केनवास पर संजोती है उतनी ही कुशलता से मन के भाव् भी आपने कागज़ पर शब्दों से सजोये है ... आपकी कला प्रणम्य है | मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें | मेरे ब्लॉग पर दस्तक देकर बिखरे हुए शब्दों से मेरे भावों को जानने का प्रयास करें यही निवेदन है
प्रदीप मनोरिया 09425132060
http://manoria.blogspot.com
http://kundkundkahan.blogspot.com

सुशील छौक्कर said...

वाह सुन्दर रचना।

Akanksha Yadav said...

सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
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60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!

Aruna Kapoor said...

सुंदर शब्दों की माला।... एक एक शब्द को एक एक पतंग के रुप में देख रही हूं।

KK Yadav said...

Behatrin prastuti.
गाँधी जी की पुण्य-तिथि पर मेरी कविता "हे राम" का "शब्द सृजन की ओर" पर अवलोकन करें !आपके दो शब्द मुझे शक्ति देंगे !!!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

kavita me marm he..
bhaut achchi he..

Roomy Naqvy said...

Good poems
Roomy Naqvy
http://issuesinacademics.blogspot.com/

Anonymous said...

so much.. so beautiful